सैंतालीस साल के इस कालखंड में जिन राहों से गुज़रा, उन राहों का उबड़-खाबड़, खट्टा-मीठा सफ़रनामा
Tuesday, November 6, 2007
शुरुआत
रह्गुज़र का यह पहिला पन्ना लिखते हुए जो रोमांच हो रहा है वैसा तो कभि कोइ खास खबर लिखने या उसके राष्ट्रीय स्तर पर छ्पने पर भी नहीं हुआ। हाँ, हिन्दी शुध्द नहीं लिख पा रहा इसका रंज़ भी है।
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